Saturday, November 26, 2011
अक्सर मन ढूंढे वो तारा.......
बचपन में सुनी एक बात याद आती है
जीवात्माएं मर कर तारा बन जाती हैं
छूट गया आंचल जो प्यारा ......
अक्सर मन ढूंढे वो तारा........
चूम कर ललाट, मुझे हर सुबह जगाती थी
राजकुंवर के जैसा फिर मुझे सजाती थी
जो भी हूँ ... उसी ने संवारा ......
अक्सर मन ढूंढे वो तारा........
" आ चिड़िया !आ गैया!" कह कर बहलाती थी
एक 'कौर' खाने को, सौ तरह मनाती थी
वक़्त नही लौटता दुबारा ........
अक्सर मन ढूंढे वो तारा........
बिन बोले मन की वो बात सभी जाने
रात रात भर दुःख में बैठे सिरहाने
करती अपलक मुझे निहारा .......
अक्सर मन ढूंढे वो तारा........
बचपन में जो बातें लगतीं बेमानी
उन्हें याद कर आँखों से बरसे पानी
व्यर्थ लगे अब वैभव सारा ........
अक्सर मन ढूंढे वो तारा........
Posted by राजेश राज at 12:14 PM 1 comments
Friday, September 23, 2011
Sunday, September 4, 2011
Saturday, August 27, 2011
Wednesday, August 24, 2011
Tuesday, August 23, 2011
Friday, August 12, 2011
बहना मेरी ' झाँसी वाली रानी' बनो तुम
प्रतिदिन छपता ये समाचार है ,नारी होती अत्याचार की शिकार है आये दिन होता जो ये दुराचार है,नारी ख़ुद भी इसके लिए ज़िम्मेदार है
अपनी मान-मर्यादा बचाने के लिए ,नीचता को सबक़ सिखाने के लिए कोमलता त्याग , मर्दानी बनो तुम !बहना मेरी ' झाँसी वाली रानी' बनो तुम
चन्द्रमा की सोलह कला हैं नारियां कामिनी-कनक-चपला हैं नारियां कौन कहता है 'अबला' हैं नारियां दुर्गा-भवानी-कमला हैं नारियां आये दु:शासन तो तुम न डरो,किसी से मदद की गुहार न करो ,
खप्पर ले लो हाँथ में , भवानी बनो तुम बहना मेरी ' झाँसी वाली रानी' बनो तुम
Posted by राजेश राज at 11:19 AM 0 comments
Thursday, August 11, 2011
Subscribe to:
Posts (Atom)